आपके टर्म इंश्योरेंस के लिए नॉमिनी कौन होना चाहिए?
यह सर्वसम्मति से पूछा गया प्रश्न है और अभी तक कुछ ही लोग इसका सही उत्तर और सही उत्तर तक पहुंचने के लिए आवश्यक दृष्टिकोण का ज्ञान रखते है। इसलिए अपने इन्शुरन्स संकटों का ख्याल रखते हुए एक बार फिर इससे जुड़े हर एक पहलु को सफाई से देखे|
मूल बातों के साथ शुरू करना - टर्म इन्शुरन्स एक लाइफ इन्शुरन्स उत्पाद है जो निश्चित अवधि के लिए इन्शुरड़ व्यक्ति को वित्तीय कवरेज देता है। इस तरह से इसका इस्तेमाल आश्रितों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। अगर पॉलिसीधारक एक विषम परिस्थिति का सामना करता है तो पॉलिसी की शर्तों के अनुसार राशि का भुगतान नामांकित व्यक्ति को किया जाता है। इस लंप सम राशि को अश्योर्ड राशि के रूप में जाना जाता है और एक नॉमिनी/ नामांकित व्यक्ति का उल्लेख करना अनिवार्य है जो इस राशि को ऐसे स्थितियों में प्राप्त करेगा। जब कोई व्यक्ति अपना इन्शुरन्स पॉलिसी फॉर्म भर रहा होता है तो एक नॉमिनी को इसी कारण से इसमें शामिल करना चाहिए। इन्शुरन्स एक्ट 1938 की धारा 39 के अनुसार निम्नलिखित व्यक्तियों को के तौर पर रख सकते है –
- माता-पिता
- जीवनसाथी (या)
- बच्चे (या)
- पति / पत्नी और बच्चे (या) उनमें से कोई भी
यदि फिर भी पॉलिसीधारक ने एक वसीयत (विल) को पीछे छोड़ दिया है तो वसीयत की शर्तों के अनुसार क्लेम्ड राशि वितरित की जाती है।
आपके इन्शुरन्स के लिए नॉमिनी होने के क्या लाभ हैं? वे कई हैं! नामांकन के माध्यम से एक पॉलिसीधारक उन लोगों का चयन कर सकता है जो डेथ क्लेम पूरी तरह से संसाधित होने पर डेथ बेनिफिट्स प्राप्त करेंगे। डेथ क्लेम के अलावा अगर कोई भी लागू बोनस है तो उसका भी भुगतान किया जाता है।
इसके अलावा यह पॉलिसीधारक के हितों की रक्षा भी करता है जो लाइफ इन्शुरन्स का प्राथमिक उद्देश्य है, है ना? एक और तथ्य यह भी है कि यदि पॉलिसीधारक के बाद नॉमिनी मर जाता है, लेकिन इससे पॉलिसी के तहत प्राप्त राशि का उचित हिस्सा प्राप्त करने से पहले तो उसके हिस्से के राशि का भुगतान उसके वारिसों को, कानूनी प्रतिनिधि या इस नॉमिनी के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के धारक को किया जाता है|
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इन बातों को ध्यान में रखते हुए किसी को नॉमिनी बनाने की क्या आवश्यकता है? नामांकित व्यक्ति के यह विवरण इन्शुरन्स कंपनी को देना अनिवार्य है -
- नाम
- आयु
- पता
- उनके और पॉलिसीधारक के बीच संबंध
यदि पॉलिसीधारक की इच्छा है तो नॉमिनी को बाद में भी बदला जा सकता है। इस स्थिति में पॉलिसीधारक को इन्शुरन्स कंपनी से संपर्क करना है और नॉमिनी परिवर्तन के प्रकिर्या को शुरू करना है। इस बात कि सलाह दी जाती है कि पॉलिसी धारक के रूप में आपको अपने वित्तीय दस्तावेजों की नियमित रूप से समीक्षा करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी बड़े जीवन को बदलने वाली घटना के बाद आपके जीवन में इच्छित लोगों को बिना किसी देरी के लाभ मिल सके। इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण एक लाइफ इन्शुरन्स पॉलिसी है जिसमे माता-पिता को शादी से पहले नामित व्यक्ति के रूप में लिया जाता है। शादी करने और बच्चे होने के बाद एक व्यक्ति लाभार्थी के रूप में जीवनसाथी और बच्चों को बदलना या जोड़ना चाह सकता है। एक अन्य स्थिति मौजूदा नॉमिनी के निधन के बाद उत्पन्न हो सकती है। किसी विशेष पालिसी के अवधि के दौरान किसी नॉमिनी को कितनी बार बदला जा सकता है इस पर कोई सीमा नहीं है, हालांकि कुछ कंपनियां नामांकन परिवर्तन के लिए फीस ले सकती हैं।
अब हमें उम्मीद है कि यह सब आपको इस बात के लिए स्पष्टता प्राप्त करने में मदद करेगा कि ऐसा कौन है जिसे आपको क्लेम प्राप्त करने के लिए नामांकित करना चाहिए। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि आपको कोई संदेह नहीं है कि एक नॉमिनी क्या है और आपको किसका चयन करना चाहिए। यदि आपको कोई संदेह है तो आप इन्शुरन्स एक्ट 1938 की धारा 39 का संदर्भ ले सकते हैं, जो 2014 में अंतिम बार संशोधित किया गया था!
Dec 25/18
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